
इस वर्ष, भारत के महान नेता और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती मनाई जा रही है। उनकी जन्म शताब्दी न केवल भारतीय राजनीति के लिए बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने जीवन में उत्कृष्टता और समर्पण की मिसाल कायम करना चाहता है।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। बचपन से ही वे विचारशील और अनुशासनप्रिय थे। उनकी शिक्षा में साहित्य और राजनीति का गहरा प्रभाव था, जो उनके जीवन की दिशा निर्धारित करने वाला साबित हुआ।
राजनीति में शिखर तक पहुंचने के बावजूद, अटल जी ने अपनी कविताओं और साहित्यिक लेखन से कभी नाता नहीं तोड़ा। उनकी कविताएं उनके विचारों, संघर्षों और समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता का सजीव प्रतिबिंब हैं। उनकी रचनाएं जैसे “कदम मिलाकर चलना होगा” और “हार नहीं मानूंगा” आज भी हमें साहस और संघर्ष की प्रेरणा देती हैं।
अटल जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने प्रगति के नए आयाम छुए। उन्होंने देश को एक मजबूत अर्थव्यवस्था और वैश्विक मंच पर सशक्त पहचान दिलाई। पोखरण परमाणु परीक्षण, स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क योजना और कश्मीर समस्या पर उनके प्रयास उनकी दूरदर्शिता और निडर नेतृत्व का उदाहरण हैं।
अटल जी ने हमेशा एकता, शांति और मानवता का संदेश दिया। वे विपक्ष में रहते हुए भी सभी दलों के बीच सम्मानित नेता माने जाते थे। उनका मानना था कि राजनीति से ऊपर देशहित होना चाहिए।

अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती हमें उनके विचारों और मूल्यों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देती है। उनकी जयंती पर हम सभी को उनके आदर्शों का अनुसरण करने का संकल्प लेना चाहिए।
“उनका जीवन हमें सिखाता है कि अगर आपके इरादे मजबूत हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।”
इस जयंती पर आइए, हम उनके विचारों को याद करें और देशहित के लिए उनके दिखाए मार्ग पर चलें।
अटल जी को कोटि-कोटि नमन!
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